15/04/2022

सफर में थे हम सफर के हो गए ।

घर से निकले थे एक मंजिल की तलाश में,
मंजिल का पता नही पर मुसाफिर बन गए
अब ना घर के रहे ना बाहर के हो सके
सफर में थे हम सफर के हो गए

सफर में कोई अच्छा
तो कोई बुरा मिला
अच्छी और बुराई का मानो
सिलसिला मिला

इन्हीं सिलसिलो से सीखते गए ।
सफर में थे हम सफर के हो गए ।।

सफर में सफलता देखी
सफर में असफलता भी देखी
असफलता के बाद की
मयूसियत भी देखी

हम मयूसियत को भी निगल गए ।
सफर में थे हम सफर के हो गए ।।

सफर में कई मुसाफिर मिले
हर किसी ने खूब सीखा दिया हमे
कोई साथ रह गया सफर में
तो कोई छोड़ गया हमे

किसी ने रास्ते बदले तो कई खुद बदल गए ।
सफर में थे हम सफर के हो गए ।।

जब सफर में निकले थे
तब कुछ नही था साथ हमारे
अब दुख दर्द और आनंद के
साथ जख्म है हमारे

हम जख्मों पर मरहम लगाते गए ।
सफर में थे हम सफर के हो गए ।।

मंजिल का शौक नहीं
सफर के शौकीन है हम
मंजिल आने से पहले ही
सफर में ही जी लेंगे हम

मंजिल का छोड़ हम सफर में जीते गए ।
सफर में थे हम सफर के हो गए ।।


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